घुटने पीठ या कमर में होने वाले दर्द को लोग बहुत ज्यादा सीरियसली नहीं लेते, उल्टा खुद से ही पेन किलर लेकर इसे मैनेज करने की कोशिश करते रहते हैं, लेकिन लंबे समय तक इस दर्द को इग्नोर करना बहुत गंभीर रूप ले सकता है। देर तक बैठे रहकर काम करने, अनहेल्दी खानपान से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा रहता है। कम उम्र में इसके लक्षण नहीं दिखाई देते, लेकिन 40-50 साल में ये ऐसा परेशान करना शुरू करता है कि कई बार तो उठने-बैठने से लेकर चलना-फिरना तक दूभर हो जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में छोटी सी भी चोट से बुजुर्ग के कमर, कूल्हे की हड्डियां टूट जाने की संभावना बनी रहती है।
किन बातों का रखें ध्यान?
- देश में 70 प्रतिशत लोग विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं। यह कैल्शियम अवशोषण के लिए जरूरी है।
- शरीर के निचले हिस्से में दर्द ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हो सकता है।
- नाखून बदरंग या भूरभुराकर टूटते रहते हैं, तो संभावना है कि ऑस्टियोपोरोसिस की चपेट में आ रहे हों।
- महिलाओं में मेनोपॉज के बाद हड्डियों की डैमेजिंग तेजी से होती है। इसलिए पौष्टिक खानपान पर खासतौर से फोकस करना चाहिए।
खानपान में शामिल करें ये चीजें
- हरी सब्जियां, जैसे- ब्रोकली, पालक, शलजम का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें।
- दूध, दही, पनीर को खानपान में शामिल करें, इनमें कैल्शियम भरपूर रहता है।
- अखरोट व बादाम के साथ सूरजमुखी के बीज में भी कैल्शियम, मैग्नीशियम और जिंक मौजूद होता है।
- बींस में फाइबर, मैग्नीशियम और फोलेट होता है।
खानपान और लाइफस्टाइल में इन जरूरी बदलावों से काफी हद तक आप ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से बचे रह सकते हैं।