भारत सरकार और इंटरनेशनल बौद्ध कंफेडरेशन (IBC) के सहयोग से पहला एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन 5 और 6 नवंबर को दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य एशिया के देशों के बीच बौद्ध धर्म के माध्यम से सामूहिक, समावेशी और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देना है। यह आयोजन भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का प्रतीक है, जिसका मकसद एशिया के विकास के लिए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता को मजबूत करना है।
11 देश शामिल हुए थे पिछले साल
पिछले साल भी बौद्ध विद्वानों का एक विशेष समूह 11 देशों से भारत आया था, जिसमें जापान, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका और नेपाल शामिल थे। इस समूह ने भारत के प्रमुख बौद्ध स्थलों का दौरा किया और देश के बौद्ध इतिहास और संस्कृति की गहन जानकारी हासिल की।
समावेशी विकास की ओर पहल
संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन बौद्ध धर्म के विविध पक्षों को सामने लाने का अनूठा अवसर है। संवाद के माध्यम से समकालीन चुनौतियों का समाधान तलाशने और बौद्ध धरोहर को संरक्षित करने के प्रयासों से, यह सम्मेलन एक सहिष्णु, शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
बौद्ध धर्म का भारत और एशिया पर प्रभाव
संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, बौद्ध धर्म ने भारत और एशिया के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धारा को हमेशा से एकसूत्र में पिरोकर रखा है। गौतम बुद्ध के उपदेशों और उनके अनुयायियों ने पूरे एशिया को जीवन, ईश्वर और सामाजिक मूल्यों के प्रति एक समान दृष्टिकोण प्रदान किया है।
शिखर सम्मेलन के प्रमुख विषय
शिखर सम्मेलन का विषय एशिया को सशक्त बनाने में बुद्ध धर्म की भूमिका रखा गया है। इस दौरान बौद्ध कला, वास्तुकला, धरोहर, बुद्ध धर्म का प्रसार और 21वीं सदी में बौद्ध साहित्य व दर्शन के महत्व पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा सम्मेलन में पवित्र बौद्ध अवशेषों की समाज में प्रासंगिकता, बौद्ध धर्म का वैज्ञानिक अनुसंधान में महत्व और मानव कल्याण में इसकी भूमिका पर भी मंथन किया जाएगा।
बौद्ध धर्म की अभिव्यक्ति को एक साथ लाने का अवसर
विषयों पर विचार-विमर्श करने के अलावा एशिया को जोड़ने वाले धम्म सेतु के रूप में भारत विषय पर एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा, जो कि कार्यक्रम स्थल पर अन्य रचनात्मक प्रदर्शनों के बीच कार्यक्रम का हिस्सा होगा।